नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू | हिंदी कविता

"नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..। ©_Ram_Laxman_"

 नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻

संगवारी हो,,,,
जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर,
दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला
के संग मा हमन हा पाछु पाछू
उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन ।
अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता
धान के पैरा मा लुकावत रहेंन।

फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा
घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा
सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन,
सिधा तरिया मा जाके जुच्छा 
पानी भर मा नहावत रहेंन ।

फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना,
ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन
चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन ।

अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता
हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,,
तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता
तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन ।

अऊ का बतावव संगवारी....!

नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे ।
वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..!
काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय
अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस
खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के 
कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन ।

अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल  हो या आंगन बाढ़ी,
जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग
कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला
झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन ।

फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎

जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज
मन के मजा ला पावत रहेंन ।
फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह
मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️
फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..!
ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..।
लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,,
तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला  
कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..।

©_Ram_Laxman_

नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..। ©_Ram_Laxman_

हमर नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻

संगवारी हो,,,,
जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर,
दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला
के संग मा हमन हा पाछु पाछू
उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन ।
अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता

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