लिखता हूँ खत खून से, स्याही ना समझना आबाद हूं तेरे | हिंदी शायरी

"लिखता हूँ खत खून से, स्याही ना समझना आबाद हूं तेरे इश्क मे, तबाही ना समझना दिल की अदालत मे मुकदमा करे जो बैठे हो ये मेरा इकरार है, गवाही ना समझना"

 लिखता हूँ खत खून से, स्याही ना समझना
आबाद हूं तेरे इश्क मे, तबाही ना समझना
दिल की अदालत मे मुकदमा करे जो बैठे हो
ये मेरा इकरार है, गवाही ना समझना

लिखता हूँ खत खून से, स्याही ना समझना आबाद हूं तेरे इश्क मे, तबाही ना समझना दिल की अदालत मे मुकदमा करे जो बैठे हो ये मेरा इकरार है, गवाही ना समझना

गवाही ना समझना #shayri #Khoon #writing #creativewriting

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