कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा  मुझे मा | हिंदी Shayar

"कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा  मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है ©Sam "

कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा  मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है ©Sam

#Lakirein kismat ki

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