वो भी साथ छोड़ गया आखिर, जो कहता था के कभी छोड़ मत देना..
अब इश्क़ में मजबूर उस आशिक को मैं गलत भी कहूं तो कैसे..
थी तमन्ना हर मोड़ पर उसका साथ देने की मेरी हमेशा..
अब बिन उसके खुद को भी खुद के साथ रखूं तो कैसे..
वो जान था मेरी और ये जनता था वो, के वो जान था मेरी ये जनता था वो..
अब जान बेजान हो रही है, ये जान कर अनजान रहूं तो कैसे..
मैं चाहता हूं, वो संभाल ले फिर से आ कर मुझे, मेरे बिखरने से पहले..
मैं बोझ हूं, ये सुन लिया, अब खुद से खुद को संभालने की बात उसे कहूं तो कैसे..
©Veenu Soni
#humantouch