चाहा उसने चाहत की हद तक मुझे
साँसों से रूह तक सब मेरे नाम कर दिया
नाम, ज़िंदेग़ी, पहचान तक मुझे दान कर दिया
किस तरह लौटाऊँ सारा उधार बताओ मुझे
खुद भी बिक जाऊँ, लूट जाऊँ, कम लगता है मुझे ll
खानाबदोश सा है सारी ज़िंदेगी मेरी
बोझ कम कर के चलना फ़ितरत है मेरी
रोते-रोते हँसता हुँ, हंसते-हंसते रोता हुँ
कहीं में पागल तो नहीं, ये समझाओ मुझे ll
....🖋️DEV
खानाबदोश हूं में