"जब हम खुद के पिंजरे में होते हैं
तब हमें पता नहीं चलता कि
हमें क्या पसंद है क्या नहीं
पर उस पिंजरे को हमें छोड़ना ही पड़ता है
क्योंकि हम खामोश नहीं रह सकते कभी"
जब हम खुद के पिंजरे में होते हैं
तब हमें पता नहीं चलता कि
हमें क्या पसंद है क्या नहीं
पर उस पिंजरे को हमें छोड़ना ही पड़ता है
क्योंकि हम खामोश नहीं रह सकते कभी