झूठ बन सकते नहीं। सच भी क्या बनें। इंसान बनूँ? तुम | हिंदी कविता

"झूठ बन सकते नहीं। सच भी क्या बनें। इंसान बनूँ? तुम दौङते हो आजमानें।।"

 झूठ बन सकते नहीं। सच भी क्या बनें।
इंसान बनूँ? तुम दौङते हो आजमानें।।

झूठ बन सकते नहीं। सच भी क्या बनें। इंसान बनूँ? तुम दौङते हो आजमानें।।

#मेरी_डायरी_से

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