#SaferMotherHoodDay "मां के चरण" मां के छूता जो भी | हिंदी क

"#SaferMotherHoodDay "मां के चरण" मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी""

 #SaferMotherHoodDay "मां के चरण"
मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण
उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन
उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन
यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन
मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण
मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन
मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन
ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन
मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन
आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन
मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन
मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन
मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन
मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण
उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन
पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन
जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन
स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन
निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन
मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण
जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन
आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प
कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#SaferMotherHoodDay "मां के चरण" मां के छूता जो भी मनुष्य नित चरण उस जीवन से बुरी बलाओं का गमन उस जीवन मे नित रहता,खुशी आगमन यह में नही,ईश्वर कहता,सुनो सब सज्जन मातृ चरण रज के आगे फीका,स्वर्ग भ्रमण मातृ गोदी में समाये,तीनों लोक,14 भुवन मां का करो वंदन,जीवन महकेगा जैसे चंदन ईश्वर दरबार मे भी होता मां का नित वंदन मां का ईश्वर के ही रूप मे ही हुआ है,सृजन आओ अपनी,मां को हम सब ही करे,नमन मां ही देती है,हम सबको एक नया,जीवन मां का कर्ज कभी न उतार सकता,कोई जन मां के दूध से ही बना,हम सबका यह तन मां के छुता जो भी मनुष्य नित चरण उसके बुरे वक्त का शूल बन जाता,सुमन पतझड़ भरे जीवन मे आ जाता है,सावन जिसके पास हो,मां रूपी ममतामयी मन स्वार्थी दुनिया मे,मां एकमात्र ऐसी जन निःस्वार्थ रूप से संतान का करे पालन मां को एकदिन नही,हर क्षण करे,अर्पण जिनके कारण ही हमें मिला,यह जीवन आओ आज से हम सब ले,यह संकल्प कुछ भी हो,कभी न भेजेंगे मां को,वृद्धाश्रम विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

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