White धरती का है भार क़ादरी। पूछ रहे हैं ज | हिंदी कविता

"White धरती का है भार क़ादरी। पूछ रहे हैं जाति पादरी।। हम पूछें तो सीना ताने। नहीं बताता निज बिरादरी।। बंगलादेशी दे संदेश। लगे डराने अपना देश।। तुष्टीकरण चरम पर छाया। करो वख्त काअब इतिशेष।। है विनेश इंडी का मुहरा। छँट जाने दो थोडा कुहरा।। ढाल बनेगी निर्वाचन में। अस्त्र चलाएंगे सब दुहरा।। ©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar"

 White धरती  का   है  भार क़ादरी।
पूछ  रहे   हैं  जाति  पादरी।।
हम   पूछें  तो   सीना   ताने।
नहीं बताता निज  बिरादरी।।

बंगलादेशी      दे      संदेश।
लगे   डराने   अपना   देश।।
तुष्टीकरण  चरम  पर  छाया।
करो वख्त काअब इतिशेष।।

है   विनेश  इंडी   का  मुहरा।
छँट  जाने  दो थोडा  कुहरा।।
ढाल   बनेगी   निर्वाचन   में।
अस्त्र  चलाएंगे  सब  दुहरा।।

©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar

White धरती का है भार क़ादरी। पूछ रहे हैं जाति पादरी।। हम पूछें तो सीना ताने। नहीं बताता निज बिरादरी।। बंगलादेशी दे संदेश। लगे डराने अपना देश।। तुष्टीकरण चरम पर छाया। करो वख्त काअब इतिशेष।। है विनेश इंडी का मुहरा। छँट जाने दो थोडा कुहरा।। ढाल बनेगी निर्वाचन में। अस्त्र चलाएंगे सब दुहरा।। ©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar

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