White पल्लव की डायरी
इतिहासों से चरित्र गायब
आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है
चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया
झूठ का ज्ञान परोसा जाता है
त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये
अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है
मेल मिलाप और अपनापन
हैसियत से तौला जाता है
क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया
अन्तरकर्ण तक मूल पाठ नही जाता है
सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है
बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है
चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब
बस कानूनों से जग हाका जाता है
नैनो परिवार परवान चढते
पतन की ओर भारत जाता है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है