एक वादा किया था मैंने खुद से
टूट कर बिखर जाउंगी मगर हार
मानकर कभी गलत क़दम नहीं उठाऊंगी🙂
ना जाने क्यों ऐसा लग रहा
जैसे मै आज पूरी तरह हार के बिखर गई
चाहते हुए भी खुद को समेट नहीं पा रही🙂
क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा
पर आज दिलोदिमाग से एक ही आवाज
आ रही
चाह कर भी तू किसी को कुछ नहीं समझा सकती
और समझा भी दे तो तुझे समझने वाला कोई नहीं इसलिए
भूल जा वो वादा जो तूने खुद से किया था
और अंत कर अपनी सारी परेशानियों का 😌
__प्रीती ओझा
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