देश में अपराध ऐसे चल रहे हैं
बेगुनाहो के यहां घर जल रहे हैं।
लूट लेते दिनदहाड़े राहगीर को
हो रहे सरेआम कत्ल रहे हैं
फस गया फिरदौस होकर बेगुनाह
पुलिस वालों को भी हफ्ते मिल रहे हैं।
एक नया रोजगार पैदा कर दिया है
देश के युवा पकोड़े तल रहे हैं।
रोजगारी न्याय और सुरक्षा के
झूठे वादे देकर जान को छल रहे हैं।
अर्थव्यवस्था गिरी है धड़ाम से
देश के विकास का दावा कर रहे हैं।
हो गए हैं एक दो बस अरबपति
जिनके खाते विदेशों में चल रहे हैं।
ले उड़े हैं देश के धन को भगोड़े
माफ कर्जा बार-बार कर रहे हैं
भुखमरी महंगाई यूं बढ़ रही है
किसान-युवा आत्महत्या कर रहे हैं।
©Vijay Vidrohi
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