खुली किताब हूँ फिर भी कोई नही पढ़ता पढ़ भी लिया पर | हिंदी शायरी

"खुली किताब हूँ फिर भी कोई नही पढ़ता पढ़ भी लिया पर कोई नही नही समझता कहते तो सब है की मैं साथ हूँ पर जज्बातो को कोई नही परखता ©Rajput writes"

 खुली किताब हूँ फिर भी कोई नही पढ़ता
पढ़ भी लिया पर कोई नही नही समझता
कहते तो सब है की मैं साथ हूँ
पर जज्बातो को कोई नही परखता

©Rajput writes

खुली किताब हूँ फिर भी कोई नही पढ़ता पढ़ भी लिया पर कोई नही नही समझता कहते तो सब है की मैं साथ हूँ पर जज्बातो को कोई नही परखता ©Rajput writes

#lightindark

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