"White जीवन की इस राह पर,
कितनी ठोकर खाई मैंने,
मैं फिर भी चला,
आगे बढ़ा;
न रुका न थका,
बस चलते चला।
हर वक्त मैं वक्त से लड़ा,
वक्त की इस ढाल पर
चलते चला;
मगर अंत में सीखा यही,
कि कठिनियां तो थी कई,
पर थी शिद्दत एक ही।
कि रास्ते तो थे कई,
पर थी मंजिल एक ही।
पर थी मंजिल एक ही।
©Labj_ke_do_shabd
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