और फिर....
फिर क्या....
अगर मेरा बस चले तो ये उम्र कम पड़ जाए
तेरे इस चाँद से मुखड़े को तकने को
तेरे माथे की बिंदिया को चूमने को
तेरी आँखों में डूब जाने को
तेरी घनेरी जुल्फों के साए में रात हो जाने को
तेरे इन भवों के इशारे से दिल धड़काने को
तेरी इन पलकों को चूम कर रौशनी फैलाने को
तेरे झुमके में अपनी दुनिया भुलाने को
तेरे हाथों को अपने हाथ लिए लकीर आजमाने को
तेरे लबों को चूम दर्द ए रिहा हो जाने को
तेरी खुश्बू से मेरी जिन्दगी मेहकाने को...
-कृष्णामरेश
©Amresh Krishna
#Tuaurmain