मनुष्य को अपने जीवन को अनुकरणीय बनाने हेतु असीम शक | हिंदी कविता

"मनुष्य को अपने जीवन को अनुकरणीय बनाने हेतु असीम शक्ति प्राप्त है, लेकिन वह व्यसनों में और अनाचार के वशीभूत यह ध्यान ही नहीं रख पाता है कि उसका किन बातों से कल्याण और किन बातों से पतन होगा। अनाचार एक विष है, बचा जाए इससे। ©@Anuj K Solanki"

 मनुष्य को अपने जीवन को अनुकरणीय बनाने हेतु असीम शक्ति प्राप्त है, लेकिन वह व्यसनों में और अनाचार के वशीभूत यह ध्यान ही नहीं रख पाता है कि उसका किन बातों से कल्याण और किन बातों से पतन होगा।
अनाचार एक विष है, बचा जाए इससे।

©@Anuj K Solanki

मनुष्य को अपने जीवन को अनुकरणीय बनाने हेतु असीम शक्ति प्राप्त है, लेकिन वह व्यसनों में और अनाचार के वशीभूत यह ध्यान ही नहीं रख पाता है कि उसका किन बातों से कल्याण और किन बातों से पतन होगा। अनाचार एक विष है, बचा जाए इससे। ©@Anuj K Solanki

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