"'जाति' की ललकार बुनी है,
होती हाहाकार सुनी है।
राजी हैं दोनों के दिल तो,
तुमने क्यों तकरार चुनी है?
मसला है क्या? ये बतलाओ
दिल की ही तो बात सुनी है।
आधुनिक हो कहते हो तुम तो,
फिर किस बात की कहा सुनी है?
'जाति' की ललकार बुनी है,
होती हाहाकार सुनी है।
राजी हैं दोनों के दिल तो,
तुमने क्यों तकरार चुनी है?
©Gunja Agarwal
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