दर्द खुद के छुपाके जाने कितनो को हँसता हूँ उछल कू | हिंदी Shayari Vide

"दर्द खुद के छुपाके जाने कितनो को हँसता हूँ उछल कूद किसी ताल पर बस करतब दिखाता हूँ कभी मुस्कराता चेहरा तो कभी उदास चेहरा कभी रस्सी पर तो कभी आग पर चलता हूँ दूसरों की ख़ुशी की खातिर मैं खुद को भी भूल जाता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... बड़े-बड़े खेमों में मेरी दुनिया भी अजीब हैं इस कमबख्त पेट की खातिर जान पर खेल जाता हूँ किसी की मुस्कराहट तो किसी के टूटे दिलों को मिलाता हूँ इस रंगीन रौशनी और इस चकाचौंद में गुम कहीं अपनों को छोड़ दूसरों को हँसता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... वेश बना अजीब सा मैं हर रोज़ काम लग जाता हूँ मेहनत कर बहुत सी बस चार पैसे कमाता हूँ गम को दरकिनार करके खुद ही हंसी का पात्र बन जाता हूँ कभी बरसात में रोता हूँ तो कभी झोपड़ी में सोता हूँ फिर भी ख़ुशी का चेहरा बनाकर हजारों को हँसता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... ©Chinu Mahej "

दर्द खुद के छुपाके जाने कितनो को हँसता हूँ उछल कूद किसी ताल पर बस करतब दिखाता हूँ कभी मुस्कराता चेहरा तो कभी उदास चेहरा कभी रस्सी पर तो कभी आग पर चलता हूँ दूसरों की ख़ुशी की खातिर मैं खुद को भी भूल जाता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... बड़े-बड़े खेमों में मेरी दुनिया भी अजीब हैं इस कमबख्त पेट की खातिर जान पर खेल जाता हूँ किसी की मुस्कराहट तो किसी के टूटे दिलों को मिलाता हूँ इस रंगीन रौशनी और इस चकाचौंद में गुम कहीं अपनों को छोड़ दूसरों को हँसता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... वेश बना अजीब सा मैं हर रोज़ काम लग जाता हूँ मेहनत कर बहुत सी बस चार पैसे कमाता हूँ गम को दरकिनार करके खुद ही हंसी का पात्र बन जाता हूँ कभी बरसात में रोता हूँ तो कभी झोपड़ी में सोता हूँ फिर भी ख़ुशी का चेहरा बनाकर हजारों को हँसता हूँ इसलिए तो मैं जोकर कहलाता हूँ... ©Chinu Mahej

benaamshayer

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