तन्हा संग मेरे चलने से ना जाने क्यों घबराती है वो।
"तन्हा संग मेरे चलने से ना जाने क्यों घबराती है वो।
हालांकि बात जब पूछता हूँ तो सारी बताती है वो।।
चाँदी से चमकता है चेहरा उसका और हुस्न नायाब तोहफा,
अक्सर इस ही खूबसूरती पर ही तो इतराती है वो।।
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तन्हा संग मेरे चलने से ना जाने क्यों घबराती है वो।
हालांकि बात जब पूछता हूँ तो सारी बताती है वो।।
चाँदी से चमकता है चेहरा उसका और हुस्न नायाब तोहफा,
अक्सर इस ही खूबसूरती पर ही तो इतराती है वो।।