मेरे सारे विचार,
सही गलत की मेरी सारी समझ
और मेरी कठोरता...
सब उसकी आंखों में कहीं विलुप्त हो जाता है।
मेरी भावनाएं, मेरे सारे निर्णय,
फिर मेरे नहीं रहते..
फिर न मुझे तुमसे जीतने में खुशी मिलती है
न तुमसे हारने में दुख।
बस कुछ मिलता है तो वो है -
सुकून
जिसे न मैं तुमसे कह पाता हूं और न ही लिख
बस कुछ कर पाता हूं तो वो है -
महसूस
तुम्हारी आंखों में
...
©Vivek Maurya
तुम...