मेरे लिए मेरे मन का पुष्प भी तुम
मेरे लिए मेरे जीवन का हर त्यौहार भी तुम
नवंबर की सी शाम भी तुम
दिसंबर की सौंधी धूप भी तुम
बारिश की बूंद भी तुम
बसंत की महक भी तुम
पतझड़ में नारंगी पड़ता बाग भी तुम
बरसात में हरियाली से भरता कोई चारागाह भी तुम
पहाड़ों की सुबह भी तुम
समंदर किनारे की हवा भी तुम
कहीं सुकून से बैठे हुए मेरा
कोई विचार भी तुम
रात को आसमान में गिनता हुआ तारा भी तुम
मेरी आधी किस्मत को पूरा करने का सहारा भी तुम
मेरे बालों को सहलाने वाले हाथ भी तुम
मुझे पुकारने वाली आवाज भी तुम
तुम शायद सब हो मेरे जीवन में
मुझे मिल के पूरा कर जाने वाले ख्वाब भी तुम ..
©बेजुबान शायर shivkumar
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