तार&

"तारे हर रोज़ झूलता हूं तेरी यादों की आगनी में...कभी झुंझलाहट में अपने बालो को नोचता हूं... तो कभी दांतो तले जिभ को काटता हूं..... तेरी यादो की आगनी कितनी गर्म क्यों ना हो माँ मैं चेहरे पर शिकंज नहीं आने देता हूँ.. ©Vandana Bhasin "

तारे हर रोज़ झूलता हूं तेरी यादों की आगनी में...कभी झुंझलाहट में अपने बालो को नोचता हूं... तो कभी दांतो तले जिभ को काटता हूं..... तेरी यादो की आगनी कितनी गर्म क्यों ना हो माँ मैं चेहरे पर शिकंज नहीं आने देता हूँ.. ©Vandana Bhasin

#Maa❤

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