जा रही हो ? जाओ पर सुनो!!
रात होने से पहले ही लौट आना।
इस अंधेरे घर में अकेला हूं,
साम ढलते ही लौट आना।
तुम ना होगी तो तकल्लुफ रहेगी हमें।
मेरी आंखों से अश्क बहते ही लौट आना।
राह देखूंगा तुम्हारे जाने के बाद,
ख्वाब देखूंगा तुम्हारे आने के बाद।
दरवाजा जब खोलूं तो वहीं पर खड़ी पाना।
रात होने से पहले ही लौट आना।
साम ढलते ही तुम लौट आना।
वहां जाकर तुम कुछ ही घड़ियां बिताना।
ख्वाब की पुरवाई में मुझे याद मत आना।
धूप में परछाई सी मेरे साथ साथ ही रहना।
इशारा मिलते ही मेरा सहनाईयां छोड़आना
रात होने से पहले ही लौट आना।
साम ढलते ही तुम लौट आना।
~Dev Yadav ✍🏻
#footsteps