ना जाने क्यों शाम होते होते
उसकी याद क्यों आ ही जाती है।
वो ना जाने कैसी है अभी
ये बात दिल मैं मेरे बेचैनी बढ़ाती है पर
ना जाने क्यों शाम होते होते
उसकी याद क्यों आ ही जाती है।
वो ना जाने क्यों जादा कुछ नही कहती है
बस बातों को मेरी सुनती है
और किसी बात की नब्ज को
पकड़ कर बस लड़ लिया करती है पर
ना जाने क्यों शाम होते होते
उसकी याद क्यों आ ही जाती है।
कभी एकदम सीधी सरल स्वभाव सी
बेहती हुई पानी सी लगती है
ना जाने क्या हो जाता है अगले पल मैं
की अपने अंदर का तूफान
मचा कर खामोश हो जाती है पर
ना जाने क्यों शाम होते होते
उसकी याद क्यों आ ही जाती है।
कुछ भी हो मेरी अपनी है
थोड़ी से जिद्दी जरूर है
पर मेरे दिल के सबसे करीब है
अभी खामोश भले क्यों ना है पर
एक शाम गुजरते गुजरते शायद
उसे मेरी याद तो आनी ही है।
@speAKASHeartsays
ना जाने क्यों शाम होते होते
उसकी याद क्यों आ ही जाती है।
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