'खेल'
कौन कहता लोग आजकल खेलते नहीं है,
हाँ उनके खेल अब पहले जैसे नहीं रह गए।
अब लोग खो-खो,कबड्डी,गुल्ली-डण्डा,लुका-छिपी
और क्रिकेट नहीं खेलते।
अब लोग दिल से दिमाग से भावनाओं से रिश्तों से
और ज़िन्दगी से खेलते हैं।
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