मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² घड़ी और दोसà¥à¤¤ मुश्किल घड़ी और दोस्त मुश्किल घड़ी कबका आन पड़ी है!
मैं भी खुद को दोस्त बना कबका ये
.ठान ....पड़ी हूं!
चलती रहूंगी परस्पर तेरे बनाए उन
कांटो राहों...पे
यही कहते हुए जिंदगी को पहचान पड़ी हूं!
जीवन के पन्ना को पलटते हुए..
चंद लम्हों में दास्तान ए जिंदगी बहुत कुछ
लिखती चली.. हूं ||
©sapna prajapati❤
ईन मुश्किल घड़ियों से जान पड़ी हूं
संघर्ष से भरा है पूरा पन्ना यही कहते
नहीं कहते वे आगे बढ़ चली हूं......
sapna prajapati✍🤗🤗😥