White ।। हैवानियत आखिर कब तक।। हर आंगन की हो गुड़ | हिंदी कविता Video

"White ।। हैवानियत आखिर कब तक।। हर आंगन की हो गुड़िया,घर की तुम प्यारी बिटिया गगन विशाल ह्रदय लिए रागों की लय तुमसे बिटिया आसमां नांपा,समंदर लांघा,चोटी पर रखा तेरा कदम हर जगह है तेरा परचम नमन करते है तुझको हरदम।। बार बार इस धरा पर इंसानियत शर्मसार हो जाती है इसी बिटिया पर हैवानियत का सितम क्यों जारी है कभी निर्भया कभी दामिनी की अस्मत लूटी जाती है हवस का घिनोना गंदा खेल कितने वर्षों से जारी है।। जालिमों ने नोचा तनमन दरिंदों ने जिंदा मार डाला है हर उम्र की बितिया ने दरिंदो में खुद को अकेला पाया है इधर से कभी उधर से चीखों का शोर अब सुनाई देता है पिशाचों की दहशतगर्दी,व्यवस्था क्यूं नही देख पाती है ।। गूंगी,बहरे,अंधे न बनो,सुनो तुम कानून के रखवालों नारी सुरक्षित हर ओर हो व्यवस्था करो कुर्सी वालो पिघलकर गिरी मोमबत्ती सब्र का बांध हमारा टूट गया न्याय पर देरी नहीं सज़ा काला पानी हो सुनो न्याय वालो।। "गुरु प्रशस्त" कहे शर्म करो,रहम करो ओ इंसानों जाय "वैभव" जलकर सब नष्ट होगा बिटिया की लगेगी हाय।। ©वैभव जैन "

White ।। हैवानियत आखिर कब तक।। हर आंगन की हो गुड़िया,घर की तुम प्यारी बिटिया गगन विशाल ह्रदय लिए रागों की लय तुमसे बिटिया आसमां नांपा,समंदर लांघा,चोटी पर रखा तेरा कदम हर जगह है तेरा परचम नमन करते है तुझको हरदम।। बार बार इस धरा पर इंसानियत शर्मसार हो जाती है इसी बिटिया पर हैवानियत का सितम क्यों जारी है कभी निर्भया कभी दामिनी की अस्मत लूटी जाती है हवस का घिनोना गंदा खेल कितने वर्षों से जारी है।। जालिमों ने नोचा तनमन दरिंदों ने जिंदा मार डाला है हर उम्र की बितिया ने दरिंदो में खुद को अकेला पाया है इधर से कभी उधर से चीखों का शोर अब सुनाई देता है पिशाचों की दहशतगर्दी,व्यवस्था क्यूं नही देख पाती है ।। गूंगी,बहरे,अंधे न बनो,सुनो तुम कानून के रखवालों नारी सुरक्षित हर ओर हो व्यवस्था करो कुर्सी वालो पिघलकर गिरी मोमबत्ती सब्र का बांध हमारा टूट गया न्याय पर देरी नहीं सज़ा काला पानी हो सुनो न्याय वालो।। "गुरु प्रशस्त" कहे शर्म करो,रहम करो ओ इंसानों जाय "वैभव" जलकर सब नष्ट होगा बिटिया की लगेगी हाय।। ©वैभव जैन

#हैवानियत_आखिर_कब_तक

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