रातों की यादों में ,
काली रातों के बाद
सुबह को जो उठा आंखें मींज के।।
तो तुझको खुदसे फिर जुदा पाया!!
अफ़सोस में,
जताया तो कुछ पल यूंही ...
फिर,
झूठी दबी मुस्कुराहट से ...
तुझको भुलाया।।
बढ़ाया कुछ कदम,
तो दिन भर काटने को।।
फिर रात आई,
और वही लम्हा लौट आया ।।
आया तू ख्वाबों में..
और सुबह को
तुझे खुदसे जुदा पाया।।
है हाल,
अब यही हर रोज़ का !!
करके,
मैंने इश्क़ तुझसे..
गंवाया तो सब कुछ अपना
तुझे बस इतना ही पाया।।
©Shubham Mishra (Raj)
रातों की यादों में ,
काली रातों के बाद
सुबह को जो उठा आंखें मींज के।।
तो तुझको खुदसे फिर जुदा पाया!!
अफ़सोस में,
जताया तो कुछ पल यूंही ...