एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब म | हिंदी Shayari

"एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan"

 एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब 
मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं

©Aurangzeb Khan

एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan

#तन्हाई#मेरी

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