धिया घर में जन्मे रोडन के संग बच्चा सब आयल! साप | हिंदी Shayari

"धिया घर में जन्मे रोडन के संग बच्चा सब आयल! सापेक्ष आत्मसात कयल गेल . खुशी सब आबि गेल !! मन सुख स भरल अछि . मन भावुक भ गेल! भीतर सुख के हलचल चेहरा पर मुस्कुराउ !! धिया बहुत प्यारा अछि, सब कियो बहुत शानदार अछि! माँ के प्रेम हमेशा बरसात, ओ छाया अछि !! धिया एकटा सृष्टिकर्ता छथि, . धिया के संग सबहक सम्मान! मिथिला के धिया लिखि रहल अछि दुनिया में गौरव शान !! ईहो सत्य अछि, . किछु झूठ घमंड देखाइत अछि! भोज नहि माँगू, नहि पूछू, धिया क घमंड बुझू। पम्रियन के गीत के धुन के, आँगन मे गान नहि सुनि सकल! ओकर खेती डूबि रहल अछि, धिया कोनो उपहार नहि लैत अछि! बेबी सिटर माँ सेहो कम लैत छथि, सदिखन ओतेक काज करू! ठाकुरिन के सेहो उद्घाटन नहिं अछि, बेटा जकाँ नहि करू !! क्रान्ति धिया जगजानी, दुनू के समान रूप स सम्मान करू ! दुनिया के हर क्षेत्र में, मिथिला के धिया आकाश छूबि रहल अछि !! ©Navneet Jha"

 धिया 

घर में जन्मे 
रोडन के संग बच्चा सब आयल!
सापेक्ष आत्मसात कयल गेल . 
खुशी सब आबि गेल !! 

मन सुख स भरल अछि . 
मन भावुक भ गेल! 
भीतर सुख के हलचल 
चेहरा पर मुस्कुराउ !!

धिया बहुत प्यारा अछि, 
सब कियो बहुत शानदार अछि!
माँ के प्रेम हमेशा बरसात, 
ओ छाया अछि !! 

धिया एकटा सृष्टिकर्ता छथि, .
धिया के संग सबहक सम्मान! 
मिथिला के धिया लिखि रहल अछि 
दुनिया में गौरव शान !!

ईहो सत्य अछि, .
किछु झूठ घमंड देखाइत अछि!
भोज नहि माँगू, नहि पूछू,
धिया क घमंड बुझू। 

पम्रियन के गीत के धुन के,
आँगन मे गान नहि सुनि सकल!
ओकर खेती डूबि रहल अछि,
धिया कोनो उपहार नहि लैत अछि!

बेबी सिटर माँ सेहो कम लैत छथि,
सदिखन ओतेक काज करू! 
ठाकुरिन के सेहो उद्घाटन नहिं अछि, 
बेटा जकाँ नहि करू !!

क्रान्ति धिया जगजानी,
दुनू के समान रूप स सम्मान करू !
दुनिया के हर क्षेत्र में, 
मिथिला के धिया आकाश छूबि रहल अछि !!

©Navneet Jha

धिया घर में जन्मे रोडन के संग बच्चा सब आयल! सापेक्ष आत्मसात कयल गेल . खुशी सब आबि गेल !! मन सुख स भरल अछि . मन भावुक भ गेल! भीतर सुख के हलचल चेहरा पर मुस्कुराउ !! धिया बहुत प्यारा अछि, सब कियो बहुत शानदार अछि! माँ के प्रेम हमेशा बरसात, ओ छाया अछि !! धिया एकटा सृष्टिकर्ता छथि, . धिया के संग सबहक सम्मान! मिथिला के धिया लिखि रहल अछि दुनिया में गौरव शान !! ईहो सत्य अछि, . किछु झूठ घमंड देखाइत अछि! भोज नहि माँगू, नहि पूछू, धिया क घमंड बुझू। पम्रियन के गीत के धुन के, आँगन मे गान नहि सुनि सकल! ओकर खेती डूबि रहल अछि, धिया कोनो उपहार नहि लैत अछि! बेबी सिटर माँ सेहो कम लैत छथि, सदिखन ओतेक काज करू! ठाकुरिन के सेहो उद्घाटन नहिं अछि, बेटा जकाँ नहि करू !! क्रान्ति धिया जगजानी, दुनू के समान रूप स सम्मान करू ! दुनिया के हर क्षेत्र में, मिथिला के धिया आकाश छूबि रहल अछि !! ©Navneet Jha

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