दिल के तारों को छूने की कोशिश न कर, दौड़ती हैं बिजल | हिंदी शायरी
"दिल के तारों को छूने की कोशिश न कर,
दौड़ती हैं बिजलियाँ इसमें आजकल ।
झुलस जाएं कही न ये तेरी कोमल कली,
दूर से ही शिकवा शिकायत तू कर ।
फ़िक्र आज भी है तेरी मुझे ऐ सनम,
अब इतनी तो मुझसे बगावत न कर ।"
दिल के तारों को छूने की कोशिश न कर,
दौड़ती हैं बिजलियाँ इसमें आजकल ।
झुलस जाएं कही न ये तेरी कोमल कली,
दूर से ही शिकवा शिकायत तू कर ।
फ़िक्र आज भी है तेरी मुझे ऐ सनम,
अब इतनी तो मुझसे बगावत न कर ।