कितना तन्हा दिखता है , ये जो चेहरा है मेरा । हाथों | हिंदी शायरी

"कितना तन्हा दिखता है , ये जो चेहरा है मेरा । हाथों में है आईना पर , अक्स अधूरा है मेरा ।। गुलशन में गुल भी तो , तितली से इश्क़ लड़ाता है । मुझमें जो पोशीदा है , वो इश्क़ अधूरा है मेरा ।। गूँज उठी है शहनाई , फिर किसी चौबारे पर । जो ख़्वाब पला है आज तलक , वो ख़्वाब अधूरा है मेरा ।।"

 कितना तन्हा दिखता है , ये जो चेहरा है मेरा ।
हाथों में है आईना पर , अक्स अधूरा है मेरा ।।

गुलशन में गुल भी तो , तितली से इश्क़ लड़ाता है ।
मुझमें जो पोशीदा है , वो इश्क़ अधूरा है मेरा ।।

गूँज उठी है शहनाई , फिर किसी चौबारे पर ।
जो ख़्वाब पला है आज तलक , वो ख़्वाब अधूरा है मेरा ।।

कितना तन्हा दिखता है , ये जो चेहरा है मेरा । हाथों में है आईना पर , अक्स अधूरा है मेरा ।। गुलशन में गुल भी तो , तितली से इश्क़ लड़ाता है । मुझमें जो पोशीदा है , वो इश्क़ अधूरा है मेरा ।। गूँज उठी है शहनाई , फिर किसी चौबारे पर । जो ख़्वाब पला है आज तलक , वो ख़्वाब अधूरा है मेरा ।।

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