चल पड़ा हूँ वफ़ा की राहों में उम्र गुजरे तुम्हारी ब | हिंदी शायरी

"चल पड़ा हूँ वफ़ा की राहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में..! ना कोई आरजू जमाने की बस यही आस है दिवाने की तुम नज़र आओ इन निगाहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में...! कभी खुद से भी हार जाना तुम रूठ जाओ तो मान जाना तुम वक्त जाया ना हो बहानों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में.. बिन तेरे जिन्दगी अधूरी है एक तेरा साथ बस जरूरी है दम निकलता है तन्हा राहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में.. क्या भरोसा है कब गुजर जाऊँ आखिरी साँस तक तुम्हें पाऊँ जब तलक हूँ रहूँ पनाहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में.. ©अज्ञात"

 चल पड़ा हूँ वफ़ा की राहों में 
उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में..!

ना कोई आरजू जमाने की
बस यही आस है दिवाने की
तुम नज़र आओ इन निगाहों में 
उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में...!

कभी खुद से भी हार जाना तुम
रूठ जाओ तो मान जाना तुम
वक्त जाया ना हो बहानों में
उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में..

बिन तेरे जिन्दगी अधूरी है
एक तेरा साथ बस जरूरी है
दम निकलता है तन्हा राहों में
उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में.. 

क्या भरोसा है कब गुजर जाऊँ
आखिरी साँस तक तुम्हें पाऊँ
जब तलक हूँ रहूँ पनाहों में
उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में..

©अज्ञात

चल पड़ा हूँ वफ़ा की राहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में..! ना कोई आरजू जमाने की बस यही आस है दिवाने की तुम नज़र आओ इन निगाहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में...! कभी खुद से भी हार जाना तुम रूठ जाओ तो मान जाना तुम वक्त जाया ना हो बहानों में उम्र गुजरे तुम्हारी बाहों में.. बिन तेरे जिन्दगी अधूरी है एक तेरा साथ बस जरूरी है दम निकलता है तन्हा राहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में.. क्या भरोसा है कब गुजर जाऊँ आखिरी साँस तक तुम्हें पाऊँ जब तलक हूँ रहूँ पनाहों में उम्र गुजरे तुम्हारी बांहों में.. ©अज्ञात

#तेरा साथ

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