"जिंदगियां हम सभी की सूनी हैं ll
इसीलिये आंखें बहुत बातूनी हैं ll
बारिश का मौसम आता है,
यादों की हवाएँ मानसूनी हैं ll
आवाज तक नहीं निकली,
चोटें इस कदर अंदरूनी हैं ll
लोग खूबसूरती पर मरते हैं,
आखें अपराधी हैं, खूनी हैं ll
सुकून की अदालत में,
ख्वाहिशें गैर कानूनी हैं ll"
©Kalpana_Shukla_UP_74
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