टूटे कांच के टुकड़े जो दास्तान बताते हैं आईने में | हिंदी Poetry

"टूटे कांच के टुकड़े जो दास्तान बताते हैं आईने में वो बात कहां है ख़ामोशी जितना बयां करती है लफ़्ज़ों में वो बात कहां है जज़्बात ज़ाहिर होने में जो खुबसूरती है बस कह देने में वो बात कहां है फ़र्क तो है ही तुझमें और मुझमें तूने सिर्फ कहा है , मैने महसूस किया है तू उस वक्त में रही है , मैने वो लम्हा जिया है मैं तो खास समझ रहा था खुद को खातिर तेरे तेरी तो बातों की यही अदा है शायद इसलिए कल जो तुझमें बात लगती थी अब उसका एक अंश भी कहां है ©Sakshi Sharma"

 टूटे कांच के टुकड़े जो दास्तान बताते हैं 
आईने में वो बात कहां है
ख़ामोशी जितना बयां करती है
लफ़्ज़ों में वो बात कहां है
जज़्बात ज़ाहिर होने में जो खुबसूरती है 
बस कह देने में वो बात कहां है 
फ़र्क तो है ही तुझमें और मुझमें 
तूने सिर्फ कहा है , मैने महसूस किया है
तू उस वक्त में रही है , मैने वो लम्हा जिया है 
मैं तो खास समझ रहा था खुद को खातिर तेरे 
तेरी तो बातों की यही अदा है 
शायद इसलिए कल जो तुझमें बात लगती थी 
अब उसका एक अंश भी कहां है

©Sakshi Sharma

टूटे कांच के टुकड़े जो दास्तान बताते हैं आईने में वो बात कहां है ख़ामोशी जितना बयां करती है लफ़्ज़ों में वो बात कहां है जज़्बात ज़ाहिर होने में जो खुबसूरती है बस कह देने में वो बात कहां है फ़र्क तो है ही तुझमें और मुझमें तूने सिर्फ कहा है , मैने महसूस किया है तू उस वक्त में रही है , मैने वो लम्हा जिया है मैं तो खास समझ रहा था खुद को खातिर तेरे तेरी तो बातों की यही अदा है शायद इसलिए कल जो तुझमें बात लगती थी अब उसका एक अंश भी कहां है ©Sakshi Sharma

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