मुद्दतों से साथ रहा हमारा मैने खुद उसे ही अधिक महत्व दिया
मैंने सदा क़दम पीछे खींच कर उसे आगे निकलने का मौका दिया
ऊंचाइयों पर पहुंचते ही उसने हैसियत पूछते हुए मुझे चौका दिया
निस्वार्थ होना घातक है प्रतिस्पर्धा में स्वयं को ही मैंने धोखा दिया
अब अकेली मै हूं और मुंह चिढ़ाती त्याग भरी तपस्या है मेरी
ना कोई मेरा संगी साथी ना ही है कोई मेरी सखी सहेली
बबली भाटी बैसला
©Babli BhatiBaisla
धोखा