नज़्म 👇 महफिलों में बैठे तो यही सवाल हुआ कविराज क | हिंदी शायरी
"नज़्म 👇
महफिलों में बैठे तो यही सवाल हुआ
कविराज क्यूं इतना ग़म में बेहाल हुआ?
मैंने मुस्कुराकर सभी से बस यही फ़रमाया
मेरा दिल टूटने का किस्सा इसी साल हुआ!
जिस जिस ने वफ़ा की मोहब्बत में यारों
सबका यहां एक जैसा ही हाल हुआ
कविराज अनुराग"
नज़्म 👇
महफिलों में बैठे तो यही सवाल हुआ
कविराज क्यूं इतना ग़म में बेहाल हुआ?
मैंने मुस्कुराकर सभी से बस यही फ़रमाया
मेरा दिल टूटने का किस्सा इसी साल हुआ!
जिस जिस ने वफ़ा की मोहब्बत में यारों
सबका यहां एक जैसा ही हाल हुआ
कविराज अनुराग