उल्फतों के शहर यहाँ बदरंग इनके किरदाऱ हैं
किसको कहे अपना यहाँ तंग सोच के ये शिकार हैं,
देखो ये काले दिल के और रंग हैं गोरे
जूठी शान ओ शौकत इनकी भरे नफरतों के ख़ार हैं II
******
©Kuldeep Dahiya "मरजाणा दीप"
#Her Anupriya Sethi Ji Anshu writer Nîkîtã Guptā #seema.k*_-sailent_*write@