उल्फतों के शहर यहाँ बदरंग इनके किरदाऱ हैं किसको क | हिंदी शायरी

"उल्फतों के शहर यहाँ बदरंग इनके किरदाऱ हैं किसको कहे अपना यहाँ तंग सोच के ये शिकार हैं, देखो ये काले दिल के और रंग हैं गोरे जूठी शान ओ शौकत इनकी भरे नफरतों के ख़ार हैं II ****** ©Kuldeep Dahiya "मरजाणा दीप""

 उल्फतों के शहर यहाँ बदरंग इनके किरदाऱ हैं 
किसको कहे अपना यहाँ  तंग सोच के ये शिकार हैं,
                     देखो ये काले दिल के और रंग हैं गोरे 
जूठी शान ओ शौकत इनकी भरे नफरतों के ख़ार हैं II 
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©Kuldeep Dahiya "मरजाणा दीप"

उल्फतों के शहर यहाँ बदरंग इनके किरदाऱ हैं किसको कहे अपना यहाँ तंग सोच के ये शिकार हैं, देखो ये काले दिल के और रंग हैं गोरे जूठी शान ओ शौकत इनकी भरे नफरतों के ख़ार हैं II ****** ©Kuldeep Dahiya "मरजाणा दीप"

#Her Anupriya Sethi Ji Anshu writer Nîkîtã Guptā #seema.k*_-sailent_*write@

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