"शोर और ख़ामोशी
खामोश ये लब ......
शोर जितना भी है
अबसर में बयां हो ही जाता हे......
दर्द दिल की दरारों से निगाहों में आ ही जाता हे....
ख़त्म मसाला हो भी जाये
तो एहसास फिर जख्म दे जाता हे...."
शोर और ख़ामोशी
खामोश ये लब ......
शोर जितना भी है
अबसर में बयां हो ही जाता हे......
दर्द दिल की दरारों से निगाहों में आ ही जाता हे....
ख़त्म मसाला हो भी जाये
तो एहसास फिर जख्म दे जाता हे....