प्रेम के बंधनों में बंधकर, आजादी के पर को नोंचते ह | हिंदी शायरी

"प्रेम के बंधनों में बंधकर, आजादी के पर को नोंचते हीं नहीं, कुंज गलियों को छोड़,जाना चाहते हो कान्हा तो चले जाओ, अगर तुम्हें रहना होता,तो कभी तुम जाने का सोंचते हीं नहीं ©Anant Tiwary"

 प्रेम के बंधनों में बंधकर, आजादी के पर को नोंचते हीं नहीं,
कुंज गलियों को छोड़,जाना चाहते हो कान्हा तो चले जाओ,
अगर तुम्हें रहना होता,तो कभी तुम जाने का सोंचते हीं नहीं

©Anant Tiwary

प्रेम के बंधनों में बंधकर, आजादी के पर को नोंचते हीं नहीं, कुंज गलियों को छोड़,जाना चाहते हो कान्हा तो चले जाओ, अगर तुम्हें रहना होता,तो कभी तुम जाने का सोंचते हीं नहीं ©Anant Tiwary

#तुम_मेरे_हो @Astha Raj Dhiren @Anupriya @Sofia Gupta(Attached by in the planet 13sep(priority of Mahadev

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