कुछ बचा न हो देने को, तो इल्जाम दे जाओ जिस्त को सर | हिंदी विचार

"कुछ बचा न हो देने को, तो इल्जाम दे जाओ जिस्त को सर –ए– ओहदे,अंजाम दे जाओ कुछ गम,कुछ खुशियां,कुछ फूल कुछ खिलौने जिस्त– ए– जुस्तजू का पूरा इंतजाम दे जाओ।। ©Om Mishra Furkat"

 कुछ बचा न हो देने को, तो इल्जाम दे जाओ
जिस्त को सर –ए– ओहदे,अंजाम दे जाओ 
कुछ गम,कुछ खुशियां,कुछ फूल कुछ खिलौने
जिस्त– ए– जुस्तजू का पूरा इंतजाम दे जाओ।।

©Om Mishra Furkat

कुछ बचा न हो देने को, तो इल्जाम दे जाओ जिस्त को सर –ए– ओहदे,अंजाम दे जाओ कुछ गम,कुछ खुशियां,कुछ फूल कुछ खिलौने जिस्त– ए– जुस्तजू का पूरा इंतजाम दे जाओ।। ©Om Mishra Furkat

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