@devadidev_mahadev
आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी अलग पहचान बना रही हैं, अपना मुकाम खुद तय कर रही हैं। आज पूरी दुनिया की ज़्यादातर महिलाएं पुरुषों पर निर्भर नहीं है और इसीलिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ही वीमेन्स डे मनाया जाता है, ताकि हर क्षेत्र में महिलाएं इसी तरह आगे बढ़ती रहें। घर, समाज, परिवार और यहां तक कि दुनिया बिना महिलाओं के संभव नहीं है। इनके बिना कोई भी कल्पना नहीं की जा सकती है। फिर भी सदियों तक इनके पर बांध कर रखे गए। आज भी हैं, लेकिन पहले से हालात काफी बदले हैं। लड़ाई अब भी जारी है। जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी, महिलाओं से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर नहीं होंगी। जहां एक तरफ महिलाओं के शोषण, कुपोषण और कष्टप्रद जीवन के लिए पुरुष प्रधान समाज को जिम्मेदार ठहराया जाता है, वहीं यह भी कटु सत्य है कि महिलाएं भी महिलाओं के पिछड़ने के लिए जिम्मेदार हैं। यह भी सच है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों ने ही स्त्री शक्ति को अधिक सहज होकर स्वीकार किया है, न सिर्फ स्वीकार किया अपितु उचित सम्मान भी दिया, उसे देवी माना और देवी तुल्य मान रहा है, जिसकी कि वह वास्तविक हकदार भी है। हमें अपने लिए सिर्फ इतनी सी बात समझनी है कि अपनी प्रतिभा, दक्षता, क्षमता, अभिरूचि और रूझान को पहचानना है, ईश्वर ने हमें जिन गुणों से नवाजा है उन्हें निखारना है। यंत्रवत कार्य करने के बजाय स्वयं को प्रसन्न रखने के लिए काम करना है आपको अपना परिवेश अपने आप प्रसन्न मिलेगा...दूसरे शब्दों में हर काम को प्रसन्नता से करें अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करें। मैं कर सकती हूं, मैं करूंगी, मैं कुछ बन कर ही रहूंगी, मैं प्रण लेती हूं.... मैं फिर से सभी को इस दिन की शुभकामनाएं देती हूं।
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