हमें प्रत्यक्ष रूप में जो भी दिखाई देता है
जरूरी नहीं की वास्तव में वह वैसा ही हो
कुछ चीजों के बारे में यह जानते हुए भी
कि वे झूठ हैं हम किसी कारणवश उन
पर विश्वास करने लगते हैं लेकिन ऐसी
गलतफहमी से बचने के लिए हमें
स्वतंत्र रूप से सोचना चाहिए अगर हम
नहीं सोचते हैं तो रूढ़िवादिता हम
पर हावी हो जाएगी... -वेद प्रकाश
©VED PRAKASH 73
#सूत्र