सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ ग़म में जो मेरे | हिंदी कविता

"सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ ग़म में जो मेरे साथ तू मुस्का सके तो आ राहों में मेरी धूप है ,पत्थर हैं ,शूल हैं उलझन जो मेरी राह की सुलझा सके तो आ मनोज दर्द मुगाँवली म प्र"

 सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ 
ग़म में जो मेरे साथ तू मुस्का सके तो आ
राहों में मेरी धूप है ,पत्थर हैं ,शूल हैं
उलझन जो मेरी राह की सुलझा सके तो आ

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र

सारी हदों को तोङ के जो आ सके तो आ ग़म में जो मेरे साथ तू मुस्का सके तो आ राहों में मेरी धूप है ,पत्थर हैं ,शूल हैं उलझन जो मेरी राह की सुलझा सके तो आ मनोज दर्द मुगाँवली म प्र

#alone

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