यूँ पुरखों की जमीन बेचकर शहर मे ना जाया करो ना जा | हिंदी Shayari

"यूँ पुरखों की जमीन बेचकर शहर मे ना जाया करो ना जाने कब लौटना पड़े गाँव मे भी एक घर बनाया करो। ©kalam_shabd_ki"

 यूँ पुरखों की जमीन बेचकर
शहर मे ना जाया करो

ना जाने कब लौटना पड़े
गाँव मे भी एक घर बनाया करो।

©kalam_shabd_ki

यूँ पुरखों की जमीन बेचकर शहर मे ना जाया करो ना जाने कब लौटना पड़े गाँव मे भी एक घर बनाया करो। ©kalam_shabd_ki

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