सोचता हु अकेला कई बार,काश मेरे भी बहन होती
देख कर मुझे परेसान, वो भी परेसान होती
जब होता में दुःखी, तो वो मुझे समझाती
भूखा ना सो जाऊ मैं,जबरन रोटी खिलती
हर रक्षा बंधन पर सूनी रहती है कलाई
हे भगवान तूने मेरे लिए बहन क्यों ना बनाई
देखा नही मैने वो भाई बहन का वो प्यार
छोटी छोटी बातों मे वो नोक, झोंक और तकरार
मन की बाते तो अब मन मे ही बुनी रह गई
किस से कहु मै, की मेरी कलाई सुनी रह गई
कैसे आती है बहनो की याद क्या पता मुझे, मेरे बहन नहीं है
और अब जो होने लगी है मुझे परेसानी ,वो होती मुझसे सहन नहीं है
कितना करू मै इंतेजार, अब तो कलाई पर बांधी जाने वाली डोर ले आ
इस घर में हर्ष, उमंग, खुशियाँ, और हिलोर ले आ
सीधी सी बात है देख, मैं तो ये जानता हूँ
खास नहीं लेकिन खास से बढ़कर मानता हूँ
माना हमारा और तुम्हारा खून का रिश्ता नहीं है
लेकिन मैं तो तुझे,दिल से बहन मानता हुँ
©hiteshprajapati1015
#DarkWinters