नहीं था खुद के कल का भी पता, फिर भी उससे सात जनम स | हिंदी Shayari
"नहीं था खुद के कल का भी पता,
फिर भी उससे सात जनम साथ रहने का वादा कर बैठे.....
ये इश्क़ का दरिया है साहब !!!
इस गहराई को जानने की गुस्ताखी कर,
हम भी इस दरिया में डूब
खुद को तबाह कर बैठे......"
नहीं था खुद के कल का भी पता,
फिर भी उससे सात जनम साथ रहने का वादा कर बैठे.....
ये इश्क़ का दरिया है साहब !!!
इस गहराई को जानने की गुस्ताखी कर,
हम भी इस दरिया में डूब
खुद को तबाह कर बैठे......