साकी शराब ला कि तबीयत उदास है मुतरिब रबाब उठा कि | हिंदी શાયરી અને ગઝ

"साकी शराब ला कि तबीयत उदास है मुतरिब रबाब उठा कि तबीयत उदास है। चुभती है कल वो जाम-ए-सितारों की रोशनी ऐ चाँद डूब जा कि तबीयत उदास है। शायद तेरे लबों की चटक से हो जी बहाल ऐ दोस्त मुसकुरा कि तबीयत उदास है। है हुस्न का फ़ुसूँ भी इलाज-ए-फ़सुर्दगी। रुख़ से नक़ाब उठा कि तबीयत उदास है। मैंने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब ऐ महजबीं न जा कि तबीयत उदास है ©RAHUL MAKVANA"

 साकी शराब ला कि तबीयत उदास है
मुतरिब रबाब उठा कि तबीयत उदास है।

चुभती है कल वो जाम-ए-सितारों की रोशनी
ऐ चाँद डूब जा कि तबीयत उदास है।

शायद तेरे लबों की चटक से हो जी बहाल
ऐ दोस्त मुसकुरा कि तबीयत उदास है।

है हुस्न का फ़ुसूँ भी इलाज-ए-फ़सुर्दगी।
रुख़ से नक़ाब उठा कि तबीयत उदास है।

मैंने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब
ऐ महजबीं न जा कि तबीयत उदास है

©RAHUL MAKVANA

साकी शराब ला कि तबीयत उदास है मुतरिब रबाब उठा कि तबीयत उदास है। चुभती है कल वो जाम-ए-सितारों की रोशनी ऐ चाँद डूब जा कि तबीयत उदास है। शायद तेरे लबों की चटक से हो जी बहाल ऐ दोस्त मुसकुरा कि तबीयत उदास है। है हुस्न का फ़ुसूँ भी इलाज-ए-फ़सुर्दगी। रुख़ से नक़ाब उठा कि तबीयत उदास है। मैंने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब ऐ महजबीं न जा कि तबीयत उदास है ©RAHUL MAKVANA

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