साया किसी साँप सा डसता है हवा किसी काँटे सी चुभती | हिंदी शायरी

"साया किसी साँप सा डसता है हवा किसी काँटे सी चुभती है किसी आवाज़ से भी अब तो दिल की तारें बहुत दुभती है ©نمیش"

 साया किसी साँप सा डसता है
 हवा किसी काँटे सी चुभती है
किसी आवाज़ से भी अब तो
दिल की तारें बहुत दुभती है

©نمیش

साया किसी साँप सा डसता है हवा किसी काँटे सी चुभती है किसी आवाज़ से भी अब तो दिल की तारें बहुत दुभती है ©نمیش

#AkelaMann

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