अगर दुःशाशन न होता तो द्रोपदी को सताता कौन,
अगर पांचाली सताई न जाती तो मनमोहन को बुलाता कौन,
अगर वो बांसुरी वाला न आता तो चीर को बढ़ाता कौन,
अगर ये सब न होता तो हे गोविन्द पांचाली की लाज बचाकर महाभारत कराके गीता का ज्ञान संसार को सुनाता कौन ।
-Govind N Mishra
©Govind
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